वीर मंगल पांडे पर बयान देकर विवादों में फंसे राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी, महाकाल सेना ने जताया आक्रोश; माफी नहीं मांगी तो देशभर में आंदोलन की चेतावनी!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
भारत के स्वाधीनता संग्राम के पहले महानायक वीर मंगल पांडे को लेकर एक विवादास्पद बयान सामने आया है, जिसने धार्मिक और राष्ट्रभक्ति से जुड़ी भावनाओं को गहराई से आहत किया है। यह बयान किसी और ने नहीं, बल्कि अयोध्या राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष और सुप्रसिद्ध कथावाचक गोविंद देव गिरी ने एक हनुमंत कथा के दौरान दिया, जिसके बाद से देशभर में विरोध की लहर दौड़ गई है। खासतौर पर उज्जैन की महाकाल सेना ने इस बयान को देश के वीर क्रांतिकारियों का अपमान बताते हुए कड़ा ऐतराज जताया है।
क्या कहा गोविंद देव गिरी ने?
सूत्रों के अनुसार, ब्यावर (राजस्थान) में आयोजित एक धार्मिक कथा कार्यक्रम में गोविंद देव गिरी ने कथित रूप से कहा –
“यदि मंगल पांडे चर्बी वाले कारतूस का विरोध नहीं करते, तो देश 1857 में ही आजाद हो जाता, क्योंकि क्रांति की एक सुनियोजित भूमिका तैयार की गई थी। मंगल पांडे की जल्दबाजी ने उस योजना को विफल कर दिया।”
उनके इस कथन को लेकर देश की आजादी की पहली चिंगारी कहे जाने वाले मंगल पांडे के बलिदान को नकारने और 1857 की क्रांति को विफल बताने का आरोप लग रहा है। यही नहीं, महाकाल सेना ने कहा है कि गोविंद देव गिरी ने व्यासपीठ की मर्यादा को भी भंग किया है, क्योंकि हनुमंत कथा जैसे धार्मिक मंच पर इस तरह का इतिहास और राजनीति से जुड़ा विवादित बयान देना अनुचित है।
महाकाल मंदिर के पुजारी और महाकाल सेना के राष्ट्रीय प्रमुख महेश पुजारी ने गोविंद देव गिरी के बयान को वीर क्रांतिकारियों, विशेषकर मंगल पांडे, ब्राह्मण समाज और स्वतंत्रता संग्राम की भावना का अपमान बताया है। उन्होंने कहा –
“यदि गोविंद देव गिरी मानते हैं कि मंगल पांडे की क्रांति विफल थी, तो स्पष्ट करें कि उस समय कौन सी नेतृत्वकारी क्रांतिकारी योजना थी, और उसका संचालन कौन कर रहा था?”
पीएम मोदी और सीएम योगी को पत्र
महाकाल सेना ने इस विवादित बयान के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। पत्र में गोविंद देव गिरी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की गई है और लिखा है कि यदि वे देश के पहले क्रांतिकारी और ब्राह्मण समाज के गौरव मंगल पांडे से माफी नहीं मांगते, तो देशभर में आंदोलन, पुतला दहन, और जनआंदोलन की श्रृंखला शुरू की जाएगी।
मामले ने ब्राह्मण संगठनों और राष्ट्रवादी समूहों के बीच भी नाराजगी पैदा कर दी है। कई सोशल मीडिया पोस्ट में गोविंद देव गिरी के बयान को “एतिहासिक तथ्यों की गलत व्याख्या” बताया जा रहा है और उनसे माफी की मांग की जा रही है। कुछ पोस्ट्स में कहा गया कि यह एक सुनियोजित प्रयास है मंगल पांडे जैसे नायकों के त्याग और बलिदान को कमजोर करने का।
जहां एक ओर गोविंद देव गिरी अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े एक प्रमुख संत और कथावाचक हैं, वहीं दूसरी ओर उनके इस बयान ने देश की आजादी की पहली चिंगारी को अपमानित करने जैसा भाव पैदा किया है। स्वतंत्रता संग्राम की इतिहासिक संवेदनशीलता और शहीदों के सम्मान को लेकर देश की जनता और धार्मिक संगठन बेहद सजग हैं। ऐसे में अब यह देखना बेहद अहम होगा कि क्या गोविंद देव गिरी अपने बयान पर सफाई देते हैं, माफी मांगते हैं या फिर यह मामला आंदोलन और व्यापक बहस की दिशा में जाता है।